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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandi सुरसुंदरी चरिअं // 10 // साहसु विजानियरं परिमियपियपरियणेण परियरिओ। कयजिणवंदणपूओ परिहरियासेसवावारो // 76 // जोयणमेत्ते खित्ते हिंसा - तेरहमो | पंचिंदियाण सत्ताण | अप्पंपरजोगणिया जत्तेण य वञ्जणीयत्ति // 77|| जम्हा पमायओवि हु जायाइ इमाइ जायए विग्धं / इय परिच्छेओ भणिऊणं पिउणा समप्पियं मज्झ अंगुलियं // 78 // एयपि बंधसु करे निवारण सयलदोसपसरस्स / पुत्तय! इय भणिऊणं पट्ठ| विओ परियणसमेओ // 79 // षभिः कुलकम् // गंतूण रयणदीवे पारद्धो साहिउँ जहाविहिणा / बहुरूविणिपमुहाओ नाणारूवाओ | विजाओ // 8 // अविय / बहुरूवा पन्नत्ती गोरीगंधारिमोहणुप्पयणी। आगरिसणि उम्मोयणि उच्चाडणि तह वसीयरणी // 8 // एमाइबहुविहाओ साहेमाणस्स मज्झ विजाओ। छम्मासा वोलीणा ऊणा दिवसेहिं थोवेहिं / / 82 // एत्थंतरम्मि रयणीइ चरिमजामम्मि जाबपजते / थेरहरियं धरणीए धणियंव दिसागईदेहिं // 83 // पञलियं गयणेण हसियंव पभूयभूयनिवहेण / ढेणियंव पब्वएहिं परिसि| यमिव उवलवरिसेणं // 84 // तयणतरं समीरो सुगंधगंधो य वाइओ मउओ। पविरलफुसियं गंधोदगं च पडियं तहिं दिव्वं // 85 // | दिव्वा य कुसुमवुट्ठी देसद्धवन्ना समंतओ पडिया / पयडीभूयाओ तओ विविहालंकारकलियाओ॥८६॥ नियनियनामंकेहिं कलि| याओ विचित्तचिनिवहेहिं / चित्तवरवाहणाओ नाणानेवत्थकलियाओ॥८७॥ अनोनवन्नभासुरसरूवरूवाओ विविहविलयाओ। | भणियं च ताहि अम्हे विजाओ तुज्झ सिद्धाओ॥८८॥ तिसृभिः विशेषकम् // तब्बयणं सोऊणं हरिसियचित्तेण पूयणं विहियं / // 109 // 1 आत्मपरयोगजनिता-स्वपरकृता / 2 कम्पितम् / 3 ध्वनित शब्दितम् / 4 मृदुकः / 5 दशार्धवर्णा-पञ्चवर्णा / 6 समन्ततः परितः / * चिंध-चिह्नम् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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