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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भणियं मा एवं भणसु नरनाह ! // 86 // गुरुआयरेण अहयं पट्टविओ तेण देसु नियधूयं / एईए अदाणेणं पिच्छामिन सुंदरं तुम्ह ||87 // तत्तो य मए गाढं कुद्धेण एरिसं समुल्लवियं / ताव य न देमि धूयं जं रुचइ तं कुणेजासु // 88 / / ता गच्छसु नियपहुणो साहिज जहट्ठियं इमं वयणं / गिहमागयस्स को पुण तुह दंडो कीरउ इहि ? // 89 / / अह तेण तत्थ गंतुं कहिए सो नियबलेण * गारविओ। उजेणीओ चलिओ अम्हाणं उवरि जत्ताए // 10 // अविय / बहुभडनरिंदसंदणपक्कलंपाइक्कचक्कपरियरिओ। खरखुरखयखोणीयलअसंखतोक्खारलक्खजुओ // 11 // दप्पियपयंड| परहत्थिसत्थवित्तासणिकरसिएहिं / गुरुगिरिगरुयागारेहिं संगओ बहुगईदेहिं // 92 // सो सत्तुंजयराया गुरुरोसो भूरिसिन्नसंजुत्तो। | चारपुरिसेहिं सिट्ठ संपत्तो अम्ह देसेत्ति / / 9 / / तिसृभिः विशेषकम् / / ता देवि ! निमित्तेणं इमेण चिंताउरो अहं जाओ। अंबाए तओ भणियं पिययम! किं एत्थ चिंताए?॥९४॥ सुरसुंदरित्ति भणिउं धूया कणगावलीए मयलेहा। दिजउ कयसमाणो सट्टाणं जेण सो जाइ // 95 / / इहरा पभूयसेनो अप्पबलाणं स अम्ह देसस्स / काही गरुयमुबद्दवमिय भणिए राइणा भणियं // 96 // मंतीहिवि | देवि! इमं विमंतियं आसि नवरि मंतिस्स / मइसागरस्स एसो न सुंदरो भाविओ मंतो।।९७॥ ज तेण इमं भणियं आगच्छउ ताव सो कुसग्गम्मि / इह आगयस्स जम्हा मरणं से सुमइणा सिटुं // 98 // अन्नं च तस्स रन्नो निग्गमणे आसि मंगुला सउणा। अजयावहा य सव्वे सणिच्छराई गहा धणियं // 29 // इह आगयम्मि तम्मी विजओ अम्हं पराजओ तस्स / ता देव ! निविसंका अ 38*800-4H HAMEER188018--2148808-24 , गौरवितः / 2 यात्रायै-रणयात्रायै इत्यर्थः। 3 खोणी क्षोणी पृथिवी / 4 तोक्खारोवाजी / 5 मंगुलो अनिष्टः / * समर्थपदातिः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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