________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassaqarsuri Gyanmandir | य अस्थि पुत्तो नामेणं मयरकेउत्ति // 199 / / सो मह अईव इट्ठो विरहं न सहामि तस्स निमिसंपि / संपइ पुण ताएणं दिनाओ तस्स विजाओ // 200 / विजाण साहणत्थं पंसत्तखित्तम्मि सो गओ विजणे / जहभणियविहाणेणं साहइ सो तत्थ विजाओ / / 20 / / वट्टई वीओ मासो विजाओ तस्स साहयंतस्स / अहमवि तस्स विओगे तरामि नो जाव अच्छेउं // 202 / / ता पुच्छिऊण जणगं | चलिया हं तस्स दरिसणनिमित्त / आगमणपरिसंता ओइन्ना इत्थ उजाणे // 203 / / अहिणवपढियत्तणओ विज्जाए कहवि मज्झ पय मेगं / पम्हुट्टमहन्नाए तेण य न चएमि उप्पइउं // 204 // तं जं तुमए पुढे तं एवं साहियं सुयणु ! तुज्झ / विजावयस्स भंसे | सट्ठाणं कहणु पाविस्सं ? // 205 // पुणरुत्तंपि हु पढिए संभरइ न मज्झ तं पयं कहवि / उत्तट्ठमयसिलिंबच्छि ! तेणमहमाउला | जाया / / 206 // तत्तो य मए भणिय पियंवए ! अत्थि तीइ विजाए। एसो कप्पो जं किल साहिजइ हंदि ! अन्नस्स! // 207 // | भणियं पियवयाए साहिजइ नत्थि कोवि दोसोत्ति / जइ एवं ता साहसु मा(मे) कहवि पयं उवलभिजा // 208 // एवं च मए भणिए | समाणसिद्धित्ति तीइ भणिऊग / ठाऊण कन्नमूले पढिया सणियं तु सा विजा / / 209 / / तत्तो चितंतीए लहुमेव मए तयं पयं लद्धं / लहिऊण तीए सिटुं भवइ इमं किं नु एवंति ? // 210 // वियसियमुहकमलाए तीए भणियं तु सुट्ठ उवलद्धं / चलणेसु निर्वडिऊणं भणियं मह होसि तं गुरुगी // 211 / / जीए विजा दिना, ता मह साहेसु तुज्झ किं नाम। एत्थ पुरम्मी कस्स व निमेषमपि क्षणमपि / 2 प्रशस्तक्षेत्रे / 3 विधान=विधिः / 4 तरामि-शक्नोमि / 5 परिश्रान्ता / 6 अभिनवपठितत्वतः नूतनाभ्यासवशतः / 7 पम्दुटुं विस्मृतम् / 8 अहन्ना-अधन्या हतभाग्येति यावत् / 9 भ्रंशः नाशः / 10 उत्रस्तमृगशावाक्षि ! सिलिंबो शिशुः / 11 उपलभ्यताम् / | 12 निपत्य / For Private and Personal Use Only