________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir 6 -889480 B जं किंचि मए इहि कायचं तं च ओइससु // 53 // अह कुलवइणा भणियं गुरुजणपूयाइधम्मकरणम्मि। जहसत्तीइ पयसु सरणा|गयवच्छलत्ते य // 54 // अनं च भद्द ! निसुणसु एसा रनो य अमरकेउस्स / देवी गयअवहरिया अच्छई कमलावई नाम // 55 // | दूरे हथिणनयरं सावयपउरा य दुग्गमा अडवी। हलकिट्ठमहीए तहा वियरंति न तावसकुमारा // 56 // तेण न एसा सक्कद पैरा|णिउं नियपुरम्मि अम्हेहिं / न य कोवि तहारूवो अन्नो इह आगओ सत्थो // 57 / / एसा सुकुमालतणू अच्छइ किच्छेण इत्थ वण वासे / ता जइ तुम पराणसि सट्ठाण होइ ता लट्ठ // 58 // अह सुरहेणं भणियं भयवं! जं भणह तं करेमित्ति। गंतुं सयमेव अहं | अप्पिस्सं अमरकेउस्स // 59 / / भणिया हं कुलवइणा वच्छे ! सुरहस्स भासिय निसुयं / ता वच्चसु सह इमिणा अन्नो पुण दुल्लहो | सत्थो॥६०॥ अह चिंतिय मए किं इमेण सह होइ गमणमम्हाणं / जुग्गं, अहवा जाणइ भयवं चिय एत्थ जं उचियं // 61 / / इय |चिंतिऊण भणियं भयवं ! ज भणसि तं करेमित्ति / जइ एवं ता वच्छे ! पयट्ट, इइ तेण भणिया है / / 62 // बहु मनिय तन्वयणं | ताहे चलिया नरिंद! तेण सम। तकालुचियं काउं तावसिसंभासणाईयं // 63 // जाव य कमेण पत्ता एत्थ पएसम्मि ताव सुरहो सो। किंपि मिस काउणं थको एत्थेव रण्णम्मि // 64 // आवासिऊण सिन्नं दिणे दिणे एइ मह समीवम्मि / दंसेइ य बहुमाणं, अह | अन्नदिणम्मि एगते // 65 // पित्तुं आहरणाई मह पासे आगओ भणइ एवं / एयाई गिण्ह सुंदरि! न सोहसे तं निराभरणा // 66 // | युग्मम् // तं देवदिन्नकुंडलपमुहं सर्वपि निययआभरणं / पैरियाणिऊण विम्हियहियाए मए इमं भणिओ // 67 // एयाई कुओ तुमए | आदिश अनुजानीहि / 2 श्वापदाः प्रचुरा यस्यां सा / 3 कृष्टमया बनस्पतिजीवबहुलत्वेन तद्धपापोत्पत्तेरित्यर्थः / 4 पराणेतुं प्रापयितुम् / | 5 परिज्ञाय / E ** ** For Private and Personal Use Only