________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | विसए सवियारपलोयणं तु साहुस्स / तं भद्द! गुरुअणत्वस्स कारण वनियं समए // 178 / / इयरमहिलाजणेवि हु दिट्ठीपाओन होइजु-19 तोति / किं पुण समणीविसए अबोहिबीयस्स मूलम्मि 1 // 179 // ता उन्झिय अविवेयं रागं अवहत्थिऊण भावेण / परिहरसु सव्वह|च्चिय दिढिकुसीलत्तणं एयं // 180 // एवं गुरुणा भणिओ संविग्गो सोवि चिंतए एवं / अइरागपरवसस्स ओ धी! धी! मह निविवेय-19 | स्स // 181 / / जो हं पणट्ठलजो गैयरायपयम्मि वट्टमाणोवि / साहुजणनिंदणिज्ज राग न चएमि छड्डेउं // 182 // लघृणवि निरवज पव्वजं दुद्वरागपडिबद्धो / होहामि पुनरहिओदीहरसंसाराभागी // 183 // हा जीव ! पाव! भमिहिसि नारयतिरिएसुदीहरं कालं। | अविसयपयट्टरागो लघृणवि धम्ममणवजं // 184 // एवं भावंतस्सवि धणवाहणसाहुणो न उत्तरइ / अणुरागो तबिसए तीएवि यज | तस्स उवरिम्मि // 185 // एवं बच्चइ कालो संजमतवविणयकरणनिरयाणं / गुरुआणासंपाडणपराण अह ताण दोण्हंपि // 186 // अह अन्नया कयाइवि भगिणीए वसुमईए संजुत्ता। चलियाऽणंगवई सा वियारभूमीए बहियाओ॥१८७॥ दिवो य ताहि | | एगो महिलासहिओ नरो उ उम्मत्तो। धूलिरयधूसरंगो जरचीवरचीरियाइनो // 188 // उग्गायंतो बहुहा नच्चंतो डिभसत्थपरि| किन्नो / तं दटुमणंगवई सुइरं पुलएइ तं जुयलं // 189 // ततो तीए भणियं भगिणीए सुलोयणाए अणुहरइ / अज्जो! एसा जुबई गहगहियनरस्स पॉसत्था // 190 // भणियं च वसुमईए सुइरं निज्झाइऊण सविसायं / सच्चिय एसा अम्हं भगिणी ओ सुलो समयः सिद्धान्तः / 2 दृष्टिपातः / 3 अपहस्त्य-अपनीय / 4 संविज्ञः-संवेगमापन्नः / 5 गतरागपदे साधुपदे / 6 छोउं मोक्तुम् / . विनश्यति / 8 चीवर वस्त्रे, चौरिका कीटविशेषास्तैराकीर्णों व्याप्तः / 9 उद्गायन् / 1. डिम्भाः बालकाः / 11 अनुहरते अनुकरोति / 12 भार्ये / / 15 पार्श्वस्था। For Private and Personal Use Only