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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरि। पढमो परिच्छेओ। // 2 // णपरा सोलसपरिच्छेयसंगया ललिया / पाइयगाहाहि कहा कीरइ सुरसुंदरीनामा // 35 // अचुहजणबोहणं तह दुकहलोयाण चित्तरं| जणय / जुगवं णो सक्किाइ कवीहिं उभयपि काऊण // 36 // | जओ। सालंकारेण घणक्खरेण रंजिजए जणो विबुहो / पयडत्थललियकव्वं अबुहाणं बोहण कुणइ // 37 // दोण्ह वि एकवए| | चिय सकिजइ रंजणं न काऊणं / एकं गेण्हताण अवस्स किर नासए बीयं // 38 // नियगुरुकमप्पसाया कावि हु सत्ती उ जइवि मह अत्थि / विमासिलेसरूवगवण्णगबहुलम्मि कव्वम्मि // 39 // तहवि हु तयं न कीरइ असमत्थं पत्थुअम्मि जं अत्थे / तो अबु| हबोहणत्थं पयडत्था कीरए एसा // 40 // किश्च / सीसिणिमेयहरियाए गुरुभगिणीए अलंघवयणाए। सिरिकल्लाणमईए पवत्तिणीए उ वयणेण // 41 // पारद्धाजं एसा | कवित्तगव्वेण नो मए तेण / कीरइ उत्ताणत्था पाइयगाहाहिं ललियपया // 42 // हु पज्जत्तं बहुणा पत्थुयविग्यावहेण विहलेण। | विहवकुलबालियाकयकडक्खविक्खेवसरिसेणं // 43 // निसुणह एगम्गमणा होउमियाणिं कहं कहिजंतं / अड्डाइजसएहिं गाहाणं क| यपरिच्छेयं // 44 // अत्थेत्थ सुवित्थिनो उडाहोलोगमज्झयारम्मि / नामेण तिरियलोगो विबुहाणुगओ सुमेरुव्व // 45 // दीवो उ अत्थि तत्थवि वित्थरओ जोयणाण लक्खं तु / जलहिवलयावगूढो जंबुद्दीवो त्ति विक्खाओ।॥४६॥ तस्स य दाहिणभागे भरहं नामेण अत्थि वरखेत्तं / वेयड्डनगवरेणं दुहा विहत्तं सुवित्थिन्नं // 47 // अह दाहिणभरहे गंगासिंधूण मज्झयारम्मि। कप्पदुमोव्व 1 एकपदे युगपत् / 2 बीयं द्वितीयम् / 3 उपमा श्लेषरूपकादयोऽलबारविशेषाः। 4 प्रस्तुते / 5 मयहरिया महत्तरा। 6 उत्तानार्था-स्पद्यर्था। 7 अर्धततीयशतैः। 8 मज्झयारं-मध्यम् / 6 विबुधाः पण्डिताः, देवाश्च / // 2 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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