SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ने ने. हे श्रायें ! हे गुरुदेवजक्ते ! वली बाजे म्हाराथी ज साधी शकाय ते, बीज शुं काम श्रावी पड्यु ? ते सांजलीने, पढी सुलसाए कायोत्सर्ग पारीने सर्व पोतानी | alबुद्धिथी करेलु कार्य साचेसाचुं देवताने का.॥४१॥ हवे वे काव्ये करीने देवता, सुलसाने अविचाऱ्या काम करवाथी ठबको श्रापे डे. देवताए कह्यु. हे मुग्धे ! अरेरे ! से प्राद मुग्धे हहहा त्वयेदं, विचार्य कार्य न केंतं कुलीने ॥ द्वात्रिंशदेते तनया नविष्यत्येवाँधुना "किंतु समायुपस्ते ॥ ४ ॥ थक्टथक् चेदिमिकास्त्वमॉत्स्यः, सत्पुत्रदात्रीटिकाः समस्ताः॥ पुत्रास्तदा"ते एयगायुषोऽमी, शोमीर्थसाराः कतिनोऽनविष्यन्॥४३॥ ते श्रा काम विचारीने करेलु नथी. कारण के, हे कुलीने ! हमणां तने समान श्रायु ष्यवाला था बत्रीश पुत्रो उत्पन्न थशे ज. ॥ ४२ ॥ जो तें सत्पुत्रने आपनारी श्रा सर्व गोली दी जूदी खाधी होत, तो त्हारा ए (जदरमा रहेला धत्रीश) पुत्रो जूदा जूदा आयुष्यवाला, महा शौर्यवाला अने विद्वान् थात. ॥४३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020772
Book TitleSulsa Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidya Shala
Publication Year1899
Total Pages228
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy