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सुलसा पण म्हारा मनोरथने (पुत्रनी श्वाने) शुं नथी जाणतो? अर्थात् जाणे बेज. ॥ २३ ॥सर्ग३जो.
हाहवे बे काव्ये करीने देवतानी प्रसन्नता कहे . पठी दर्ष सहित ते देवताए सुलसाने ॥३ए। बत्रीश गोली श्रापी श्रने एम कयु के, या गोली तमारे अनुक्रमे एकेक खावी, के | Malजेम एटला (वत्रीश) पुत्रो थाय. ॥ २४ ॥ हे गुणनी एक नूमि ! फरीथी वीजें कांश
ततः सहर्षेण सुरेण तेन, क्षत्रिंशदेस्यै गुटिकाः प्रदत्ताः॥
आख्यायि चैतमतस्त्वयकैकाद्या यथा स्युस्तनया इयंतः ॥२४॥ गुणैकनमे पुनरैन्यकार्ये, समागतेदं स्मरणीय एव ॥ एवं गदित्वा से सुरः देणेन, "तिरोदधे दीधितिदीपिताशः॥२५॥ पुनर्जिना! सुलसा विधाय, विशेषतो नोगपरा बनूव ॥
श्रीपूज्यपूजादिपुरस्सराणि, ह्यारंनकार्याणि फलति लोके ॥२६॥ कार्य प्राप्त थये ते म्हारुं स्मरण करजे. एम कहीने पोतानी कांतिथी प्रकाशित करी ॥३॥ ने दिशाउँ जेणे एवो ते देवता वणवारमा अंतर्ध्यान थर गयो. ॥२५॥ हवे एक काव्ये करीने सुलसानुं नित्यकृत्य कहे . पढी सुलसा फरीथी जिनेश्वर जगवाननी
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