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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुलसा ॥ २७॥ $$$$$$$$$$$$܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ यो अने श्रीकृष्ण पण नरकने विषे गयो ॥ १६ ॥ हे प्राणेश ! धृतराष्ट्रनुं गोत्र सर्गश्जो. पुत्रोथीज क्षय पाम्युं .वली ते पुलस्त्य (रावणना पिता) नो वंश पण पुत्रोथी ज कलंकित थयो . तेम ज उ खंग पृथ्विनो पति ते प्रसिद्ध सगर चक्रवर्ति (सात हजा) र) पुत्रोना फुःखे करीने परलोक मार्गने ( मृत्युने ) पाम्यो . ॥ १७ ॥ हे सुबुद्धि दीणं तनूजेधृतराष्ट्रगोत्रं, पुत्रैः कलंकी स पुलस्त्यवंशः॥ पखंमन" संगरः से पुत्रःखेन 'नेजे परलोकमार्गम् ॥१७॥ स्वर्गः नतैरपि नैव पुत्र चापवर्गोऽपि विनात्मकृत्यात् ॥ परंतु 'संसारसमुष्मार्गः, पवईते पुत्रगणैः सुधीश ॥१७॥ "निशम्य कांतागदितां 'गिरं तां, विचारसारामगदच्च नागः॥ जानामि कांते सुतरां पैरंतु, पुत्रैविना नो धृतिमेति "चित्तम् ॥१५॥ वान् ! श्रात्मकृत्य विना फक्त घणा एवा य पण पुत्रोथी स्वर्ग (देवलोक) अने अप वर्ग (मोद) पण प्राप्त थतो ज नथी. परंतु (उलटो) ते पुत्रना समूहे करीने श्रा से सार समुनो मार्ग वृद्धि पामे डे.॥ १७ ॥ प्रियाए समजाव्या बतां पण नागसारथी ॥ ७ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020772
Book TitleSulsa Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidya Shala
Publication Year1899
Total Pages228
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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