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श्री जिनवरेंद्राय नमः
सुखसाचरितम्. प्रथम श्राव काव्ये करी ग्रंथकर्ता तीर्थकरोने नमस्कार रूप मंगलाचरण करे . उत्तम मंत्रोना सार रूप, समस्त देवताए कस्यो बे जन्ममहोत्सव जेमनो, विनोनो , क्षय करवा माटे अधिकारने धारण करनारा अने ध्यान करनाराउने थापी ने श्रेष्ठ मोहनी
( उपजातिवृत्तम् ), अर्ह नमस्यामि सुमंत्रसारं, समस्तदेवैर्विदितावतारम्॥ "विघ्नानिघाताय धृताधिकारं, ध्यातृप्रदत्तोत्तमशर्मनारम् ॥१॥ "विज्ञानदानाध्ययनाधिपत्यविवाहदीदागमदेशनानां ॥
कार आदौ विदधेऽत्र 'येन, स श्रीयुगादिप्रनुरस्तु नूत्यै ॥२॥ पुष्टि जेमणे एवा श्री अरिहंत प्रजुने हुं नमस्कार करुं . ॥१॥ जेमणे आ जरतक्षेत्रने |
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