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हवे था चरित्र सांजलवाथी शुं फायदो थाय ? ते कहे . संत पुरुषो पोतानी शुद्धिने माटे, जेने विषे जूदा जूदा सर्ग ( अध्याय ) रचेला HI, एवा श्रा चरित्रने मूलथी अंत सुधी श्रादरथी ज सांजलो अने वालको निरंतर
(वसंततिलका वृत्तम्) Mail आमूलचूलमिदमादरतोऽपि संतः, Uएवंतु शुद्धिकृतये कृतसर्गबंधम्॥
बालाः पतु सततं च यतो जैडानां, सम्यक्त्वसंनव ईतो नैवतीद युक्त्या | जणो; कारण के, श्रालोकने विषे जडोने पण या चरित्रथी सम्यक्त्वनो संजव युक्तिए करीने थाय . ॥ २५ ॥
॥शति प्रस्तावना.॥
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