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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sri Kallassagarsuri Gyarmandie MAMAUSA ८ CASCANCHANNECLICARBONSARICAUG पंचिंदियघाएणं नरए जं नूण गम्मए तम्हा । खणमित्तसुहनिमित्तं को जीवे हणइ छुहिओ वि? ॥२७७।। सा पुण छुहा समिजइ अवरेण वि भोयणेण जह पित्तं । पवरसियासमणि जं पि किं न पयसा उवसमेइ ? ॥२७८॥ न उ उवसमंति केण वि जियवहपभवाउ नरयवियणाओ। ता मुंचसु जीववहं कुणसु दयं सयलसुहजणयं ॥२७९॥ सेणो वि भणइ नरवर ! सरणं तुह एस आगओ भीओ । किमहं करेमि सरणं कहसु महाभाग! छुहगहिलो? ॥२८०॥ जह रक्खसि दुक्खत्तं एअं करुणाइ तह ममं पिन किं? । अइभुक्खियस्स पाणा नूणमिमे मज्झ वच्चंति? ॥२८॥ धम्माऽधम्मविचिंता वि चिट्ठए सुट्टिए सरीरम्मि । तं नथि जंन कुणइ बुभुक्खिओ कूरमवि कम्मं ॥२८२॥ तद्धम्मवत्तयाऽलं अप्पसु मह भक्खभूयमिणमइरा । को धम्मो जं इक्को रक्खिज्जइ हम्मए अवरो? ॥२८३॥ न य मज्झ हुज तित्ती कहमवि भुजंतरेहिं जं सययं । सज्जो सयं हयं जियफुरंतमंसाऽसणो अहयं ॥२८४॥भणइ निवो जइ एवं ता तुह वियरेमि सेण! नियमसं। पारेवएण तुलियं, होसु सुही मा तुम मरसु ॥२८५॥ आमि त्ति परे सेणे तुलाइ एगत्थ ठावइ कपोयं । अण्णत्थ खिवइ राया छित्तुं छित्तुं नियहै यमसं ॥२८६॥ जह जह खिवेइ मंसं राया उक्कत्तिऊण नियतणुणो। तह तह भारेण इमो वड्डइ पारेवओ अहियं ॥२८७॥ भारेण वड्डमाणं तं पक्खिं पिक्खिऊण अक्खुहिओ । सयमेवाऽऽरुहइ तहिं तुलाइ राया अतुलसत्तो ॥२८८॥ तुलमारूढं18 सहसा रायाणं दह्र परियणो सयलो । हाहारवं करंतो आरूढो संसयतुलाए ॥२८९॥ सामंतमंतिपमुहा सवे वि भणंति भूवई एवं । अम्हाण अभग्गेणं नाह! किमेयं समारद्धं ? ॥२९०॥ खिंत्तेणिमिणा निखिला रक्खेयवा खयाउ खलु खोणी । तं कह | १ सद्यस्-शीघ्रम् । २ खित्तेण-सरीरेण । For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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