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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुदंसणाचरियम्मि ॥ १०९ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अह इक्कारसमुद्देसो | अस्सावबोहतित्थं भरुअच्छे जह सुदंसणे ! जायें । तह तुह कहेमि संपइ भणइ इमं नाणभाणुरू ॥१॥ तहाहि — जंबुद्दीवे दीवे भारहखित्तस्स मज्झिमे खंडे । पुवदिसि देवयासयल दलियदोसो सुकयकोसो ॥२॥ पवहंतुलो लजलप्पवाहसुरसिंधुपुलिणकयसोहो । नयरपुरगामगोउलतलाय पुक्खरिणिरमणीओ || ३ || देसाण तिलयभूओ मगहदेसो सुरिद्धिसंपुण्णो । जं पिच्छंतो धम्मालसो वि धम्मत्थमुज्जमइ ||४|| तत्थुत्तुंगनिरंतरधव लिय धवलहर सोहियपएसं । जिणभवण| सिहर विरइयसियधयवडरुद्धरविकिरणं ||५|| रायगिहं रायगिहं व तत्थ नयरं जयम्मि सुपसिद्धं । जत्थ जणसुकयसंदामियब सुथिरा सिरी वसइ ||६|| तत्थुलूरियरिउरायलच्छिसोहो विसालभुयदंडो । णामेण सुमित्तनिवो सुणयजणाणं सुमि तु ||७|| तस्सऽत्थि पिया पवरा महासई सुयणजणियपरिओसा । उवसग्गमारिचोरा वि जीइ नामेण नासंति ॥८॥ सीलगुरयणसोहा देवी पउमावइ त्ति नामेण । दाणविणयप्पहाणा जिणधम्मपरा महुरवाणी ॥९॥ मुणिसुवओ जिनिंदो पाण| यकप्पाओ तीइ उयरम्मि । अवयरिओ सावणपुष्णिमाइ भवियाण भवहरणे ॥ १०॥ दिसिदेवीकयसुपवित्तमंगलो सयलमंगलनिही वि । जिट्ठकसिणहमीए जाओ मुणिसुवओ सामी ॥ ११॥ मेरुसि हरम्मि सित्तो नमंतसुरमउडलीढपयषीढो । अट्टमवारिस सहस्सं कीलिओ बालभावम्मि ॥ १२॥ मइसुयअवहिपहाणो वाससहस्साइ पंचदस रज्जं । काऊण तिणं व विवजिऊण भोए महासत्तो ॥ १३ ॥ फग्गुणसियवारसीह नीलगुहाए सुरिंदकयपूओ । सिरिमुणि सुव्वयसामी गहियवओ छट्टभत्तेणं ॥ १४ ॥ एकारंगसुयरयणभूसिओ चउसुणाणसंजुत्तो । कयमोणो छउमत्थो एक्कारस विहरिओ मासे ॥१५॥ नील १ संदामिय० बद्ध | For Private and Personal Use Only अस्सावबोहतित्थष्परूवगो नाम इगदसमु सो । ॥ १०९ ॥
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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