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मिलिओ सबो वि तम्मि समयम्मि । नच्चइ गायइ विलसइ हरिसियहियओ तयाऽऽगमणे ॥१३१७॥ रायाइमाणुसाणं तेसिं | मिलियाण निरुवमं सुक्खं । जं जायं तं तीरइ कहिउँ नऽण्णस्स केणाऽवि॥१३१८॥अभयप्पयाणपुर्व कहिओ देवीइ वइयरो | वणिणो । निविसओ आणतो तो सो रण्णा ससबस्सो ॥१३१९॥ तप्पभिई रजसुक्खं विसयसुहं मण्णए सुहं राया । जं | हिययनिबुईए विउसा मण्णंति परमसुहं ॥१३२०॥ वसणे वि अणुविग्गा विहवं पत्ता वि हुँति न हु धद्धा । न पहुचणे वि
तुच्छा अहो! हु गुरुयाण पुरिमवयं ॥१३२१॥ अह नरविकमराया रायसिरीए वराइ रायंतो। ससहरकरधवलजसो चिर| कालं पालए रजं ॥१३२२॥ सुहभावणासमेओ सावगधम्म पि पालिऊण चिरं । गुरुपासे निक्खंतो विरत्तचित्तो महादासत्तो॥१३२३॥ चरणकरणं विसुद्धं सम्मं आराहिउं समाहिपरो । मरिऊण समुप्पण्णो देवो माहिंदकप्पम्मि ॥१३२४॥
तत्थ वि उत्तमभोए पुवभबुन्भवसुभेण भावेण । अच्चन्भुयभूएणं भुंजइ सो भूरिअयराइं ॥१३२५॥ तत्तो चुओ विदेहे सुकु| लुप्पत्तीइ लहिय पवजं । चरिउं विसुद्धसद्धो सिद्धिं पत्तो धुयकिलेसो ॥१३२६॥ विजयकुमारो पभणइ सुदसणे! एस भावणाधम्मो। संखेवेण महत्थो धम्माण सिरोमणी कहिओ ॥१३२७॥ ता कायबो भावो सासयसुक्खाण कारणं भणिओ। सस्सुप्पत्तिनिमित्तं गहियवं जह जलं होइ ॥१३२८॥ एस चउबिहधम्मो सुदंसणे! तुह मए समक्खाओ। ता तुरियं काययो
दुलहा मणुयाइसामग्गी॥१३२९॥ अण्णं च एस सेलो विमलगिरी जलहिदुग्गमज्झगओ।सुरसिद्धजक्खविज्जाहराण कीलणपये दरम्मं ॥१३३०॥ ता धम्मविणोयमिमाणमित्य मुणिसुबयस्स नाहस्स । भवणं जुजइ काउं जम्हा वित्तस्स फलमेयं ॥१३३२॥
| सुथिरं सुनिबुइकरं साहीणं सुबहुयं च जइ पुण्णं । विवरीएण धणेणं लब्भइ ता किं न पजत्तं? ॥१३३२॥ इय सोउं मुणिवयणं
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