________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दूसरा प्रकरण
मंगलाचरण गाओ प्यारी महिमा न्यारी, जगहितकारी की ॥ टेर० ॥ वीतराग गुणधारी, शिव मगने आहाकारी ।। भवदुःखहारी सब सुखकारी, जगहितकारी की ॥ गा० ॥१॥ कुमति विनासी सुमति प्रकाशी, घट घट अन्तरयामी है। नाम तो है आनंदविहारी, निकलम विकलम अकलम
__ कलिमलहारी की ।। गा० ॥२॥
गायन नं. १
( राग-रखिया बंधावो मैयां ) जिनजी को ध्यावो भैयां, गुणगण गावो रे ॥ टेर ॥ मूरति प्रभु की भाली, सूरत निराली, तारे तुमारी नैयां, जय जग दीवो रे ॥ जिनजी० ॥ १ ॥ पूजन की थारी, लगी हे लय भारी, जगमा तमारी जईयां, जय जग दीवो रे ॥२॥ दुरगतिने दारी, आत्म गुणकारी, कर्मोनो थावो खईयां, जय जग दीवो रे ॥३॥ गुणों की श्रेणी आली, देती है दुःख टारी, सेवो सदा ए सइयां, जय जग दीवो रे ॥ ४ ॥ पार्श्व जिणंदासे, प्रीत लगी है मोहे, लब्धिसूरि गुण गईयां, जय जग दीवो रे ॥ ५॥
(१४)
जिनेन्द्र पूजा संग्रह किं. ०-३-८
For Private And Personal Use Only