________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx)
विनाशी (२), देशआहरण चार प्रकारे कहेल छे, ते आ प्रमाणे-१ सद्गुणनी स्तुतिवडे गुणवानना गुणोनी प्रशंसा ज्या उप देशाय छे ते अनुशास्ति, २ अपराधने विषे प्रवृत्त थयेल मुनिने दृष्टांतद्वारा जे उपालंभ देवाय छे ते उपालंभ, ३ ज्ञान विगेरेना निर्णयना अभिलाषीपणाथी गुरुने पूछवायोग्य प्रश्नो करवावडे जेमां दृष्टांतद्वारा उपदेशाय छे ते पृच्छा तेमज ४ कोईपण सुशिष्यनो आश्रय करीने बीजाने प्रतिबोधवा माटे दृष्टांतरूपे जे कहेवं ते निश्रावचन (३) दोष सहित आहरण चार प्रकारे कहेलुं छे, ते आ प्रमाणे-१ जे दृष्टांत कहेवाथी अधर्मनी बुद्धि उत्पन्न थाय ते अधर्मयुक्त, २ लुच्चा प्रत्ये लुच्चाई करवी 'शठं प्रति शाव्यम्' एम दृष्टांतद्वारा कहे, ते प्रतिलोम, ३ अन्यना मतने क्षण आपवा माटे जे ग्रहण करेल दृष्टांतद्वारा स्वमतने ज दूषण आपे
छे ते आत्मोपनीत अने ४ दुष्ट अथवा अशुद्ध वचननी योजना जे दृष्टांतमा कराय छे ते दुरुपनीत. (४) उपन्यासोपनय | चार प्रकारे कहेल छे, ते आ प्रमाणे-१ वादीए स्थापेल जे साधन( हेतु)रूप वस्तु, ते ज वस्तु उत्तररूप छे जेने विषे | ते तद्वस्तुक, २ वादीए स्थापेल वस्तुथी अन्य उत्तरभूत वस्तु छे जेमा ते तदन्यवस्तुक, ३ वादीए कहेल दृष्टांतना जेवू दृष्टांत उत्तर देवा माटे कहेवार्नु छे जेमां ते प्रतिनिभ अने ४ जे उपन्यासोपनयमां पूछनारनो हेतु छ तेज हेतु उत्तररूपे
कहेवाय छे ते हेतु. (५) हेतु चार प्रकारे कहेल छे, ते आ प्रमाणे-१ वादीना काळनी यापना-विलंब करे छे ते यापक, *२ वादीए स्थापेल हेतुना सदृश हेतुने जे स्थापे छे ते स्थापक, ३ शब्दना छळवडे जे बीजाने व्यामोह( भ्रम ) उत्पन्न करे छे
ते व्यंसक अने ४ धूर्तवडे ग्रहण करायेल वस्तुने जे लूंटी ले छे ते लूसक. अथवा हेतु चार प्रकारे कहेल छे, ते आ प्रमाणे१ प्रत्यक्ष-आत्मावडे जणाय ते पारमार्थिक प्रत्यक्ष अने इंद्रियादिद्वारा जणाय ते सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष, २ हेतुना जोवा
Ixxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
For Private and Personal Use Only