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मध्याह्ने अने मध्य रात्रे २, साधुओने तथा साध्वी ओने चार काले वखते स्वाध्याय करवो कल्पे छे, ते आ प्रमाणे- पूर्वाह्न - दिवसना प्रथम प्रहरमां, अपराह्ने दिवसना छल्ला प्रहरमां, प्रदोसे-रात्रिना पहेला प्रहरमां अने प्रत्युषे-रात्रिना छल्ला प्रहरमां (सू० २८५ ) चार प्रकारे लोकनी स्थिति कहेली छे, ते आ प्रमाणे- आकाशने आधारे घनवायु अने तनवायु प्रतिष्ठित रहेल छे' वायुने आधारे घनोदधि रहेल छे २, घनोदधिने आधारे रत्नप्रभा विगेरे नरकपृथ्वी रहेली छे ३ अने पृथ्वीने आधारे त्रस तथा स्थावर जीवो रहेला छे ४. ( सू० २८६ ) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-जे सेवक सतो ( होईने ) स्वामीना हुकम प्रमाणे वर्त्ते ते तथापुरुष १, जे स्वामीना हुकम प्रमाणे न वर्ते ते नोतथापुरुष २, स्वस्तिक विगेरे मांगलिक बोलनार भाट - चारणादि ते सौवस्तिकपुरुष ३, आ बधाने आराधवा योग्य शेठ विगेरे ते प्रधानपुरुष ४ (१) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे- कोईएक पोताना भवनो अंत करनार छे पण बीजाना भवनो अंत करनार नथी ते प्रत्येकबुद्धादि १, कोई एक बीजाना भवनो अंत करनार छे पण पोताना भवनो अंत करनार नथी ते अचरमशरीरी आचार्य विगेरे २, कोईएक पोताना भवनो अंत करनार छे अने बीजाना भवनो पण अंत करनार छे ते तीर्थकरादि ३ तेमज कोईएक पोताना भवनो अने परना भवनो अंत करनार नथी ते पांचमा आराना आचार्यादि ४. (२) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईएक आत्मतम - पोते खेद करे छे पण बीजाने खेद करावता नथी १, कोईएक परतम-बीजाने खेद करावे छे पण पोते खेद करता नथी २, कोईएक पोते खेद करे छे अने बीजाने पण खेद करावे छे ३ अने कोईएक पोते खेद करता नथी तेम बीजाने पण खेद करावता नथी ४. (३) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे- कोईएक आत्माने दमे छे - शमवाळो करे छे पण
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