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सात छठ दोय अट्ठम करीने, अविचल पदवी लहीएजी; छरी पालीने जात्रा करीए, केवल कमला वरीएजी, सकल सिद्धांतनो राजा कहीये, तीरथ हृदयमां धरीएजी. ३ श्री सिद्धक्षेत्र शत्रुंजय जाणीया, श्री आदीश्वर रायाजी, गौमुख यक्ष चक्केसरी देवी, सेवे प्रभुना पायाजी; शासनदेवी समकित धारी, स्नात्र करे संभालीजी, रंगविजय गुरु एणी परे बोले, मेरुविजय जयकारीजी ४ (१६) प्रणमो भवियां रिसहजिनेसर प्रणमो भवियां रिसहजिनेसर, शत्रुंजय केरो राय जी, वृषभ लंछन जस चरणे सोहे, सोनवरणी काय जी; भरतादिक शत पुत्र तणो जे, जनक अयोध्या राय जी; चैत्री पूनमने दिने जेहना महोटा महोत्सव थाय जी. अष्टापदगिरि शिवपद पाम्या, श्री रिसहेसर स्वामीजी, चंपाये वासुपूज्य नरेसर, नंदन शिवगतिगामी जी; वीर अपापापुर गिरनारे, सिद्धा नेमि जिणंदो जी, वीश समेतगिरिशिखरे पहोंता, एम चोवीशे वंदोजी. आगम नोआगम परे जाणो, सवि विषनो करे नासो जी, पापताप विष दूर करवा, निशदिन जेह उपासो जी; ममता कंचुकी कीजे अलगी, निर्विषता आदरीए जी, ईणी परे सहजथकी भव तरीये, जिम शिवसुंदरी वरीये जी. ३ कवडजक्ष प्रत्यक्ष थईने, जेहना परचा पूरे जी, दोहग दुर्गति दुर्जननो डर, संकट सघलां चूरे जी;
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