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चिदानंद संदोह नीला निधानं, नमो विमलगिरि तीर्थनाथ प्रधानं. नमो सिद्धक्षेत्रं नमो पुंडरीकं, नमो हिमाचलं-सिद्धगिरि भक्ति-छेकं; नमो पुण्यराशिं नमो पर्वतेंद्र, नमो शत्रुजयं देव सयल नतेन्द्रं. नमो मुक्ति-गेहं सुभद्रं नगेन्द्र, दृढशक्ति महातीर्थ हरे कर्म-वृंदं; नमो पुष्पदंतं महापद्मनाभं, धरा पीठ कैलाश नमो मुक्तिधामं. पातालमूलं नमो शाश्वतं च, नमो सर्व कामित-प्रदं मुक्तिदं च; नमो सर्व-तीर्थावतारं सुतारं, नमो मुक्ति-सीमंतिनी वर्णहारं. जे कोई ऊठी प्रभात जिन नाम जंपे, गिरिराज नामे सयल पाप कंपे; गिरिराज उत्तम पद पद्म ध्यावे, चिदानंद निज रूप ते शुद्ध पावे.
(१२) आदि जिनेश्वररायना आदि जिनेश्वररायना, छे पगला मनोहार; भाव सहित भक्ति करे, पहोंचाडे भवपार.
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