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| चैत्यवंदन विभाग
(१) सिद्धाचल शिखरे चढी सिद्धाचल शिखरे चढी, ध्यान धरो जगदीश मन वच काय एकाग्रशुं, नाम जपो एकवीस. शत्रुजयगिरि दिए, बाहुबली शिवठाम, मरुदेव पुंडरीकगिरि रैवतगिरि विश्राम. विमलाचल सिद्धराजजी, नाम भगीरथ सार; सिद्धक्षेत्र ने सहस्रकमल मुक्तिनिलय जयकार. सिद्धाचल शतकूटगिरि, ढंक ने कोडिनिवास; कदंबगिरि लोहित नमुं, तालध्वज पुन्यराश. महाबल दृढशक्ति सही, ए एकवीशे नाम; साते शुद्धि समाचरी, नित्य कीजे प्रणाम. भरते बिंब भरावीयाए, शत्रुजय गिरिराय; श्री विजयप्रभसूरि तणा, उदयरत्न गुण गाय.
(२) श्री शत्रुजय सिद्धक्षेत्र श्री शत्रुजय सिद्धक्षेत्र, सिद्धाचल साचो; आदीश्वर जिनरायनो, जिहां महिमा जाचो. ईहां अनंत गुणवन्त साधु, पाम्या शिववास; एह गिरि सेवाथी अधिक, होय लीलविलास. दुष्कृत सवि दूरे हरे ए, बहु भव संचित जेह; सकल तीरथ शिर सेहरो, दान नमे धरी ने.
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