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अरिहंत चेइयाणं सूत्र
अरिहंत चेईयाणं, करेमि काउस्सग्गं, वंदण वत्तियाए, पूअणवत्तिआए, सक्कारवत्तियाए, सम्माण वत्तियाए, बोहिलाभवत्तया निरुवसग्गवत्तियाए सद्धाए, मेहाए, धिईए, धारणाए, अणुप्पेहाए. वड्ढमाणीए ठामि काउस्सग्गं.
अन्नत्थ सूत्र
अन्नत्थ ऊससिएणं, निससिएणं, खासिएणं, छीएणं. जंभाईएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलिये पित्तमुच्छाए सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, सुहुमेहिं खेल संचालेहिं, सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं एवमाईएहिं, आगारेहिं, अभग्गो, अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो, जाव अरिहंताणं, भगवंताणं, नमुक्कारेणं न पारेमि ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि
( फिर एक नवकार का काउस्सग्ग करके नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यः कहकर थोय कहनी.)
थोय
श्री शत्रुंजय तीरथ सार,
गिरिवरमां जेम मेरु उदार, ठाकुर राम अपार; मंत्रमांहे नवकार ज जाणुं,
तारामां जेम चंद्र वखाणु, जलधर जलमां जाणुं; पंखी माहे जेम उत्तम हंस,
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