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५४. गिरिवर प्यारोने मोतीडे वधावो गिरिवर प्यारोने मोतीडे वधावो सोनारूपाने फूलडे वधावो.... इण गिरिवरना स्पर्शन करता भवोभव केरा पाप ने खपावो. ईण गिरिवरिये सिद्धा अनंता सोना रूपानी आंगीओ रचावो. ईण गिरिवरखें ध्यान धरता आंतर बाह्य शत्रुओ हरावो.... सीमंधर स्वामी महिमा भाखे त्रण भुवनमां तीरथ नहि आवो....
५५. आज मारा शत्रुजयमां
(राग - आज मारा देरासरमां) आज मारा शत्रुजयमा(२), मोती लइने वरस्या रे, ए गिरिवरने जोतां जोता(२) हैया सहुना हरख्या रे.
आज मारा० थाल भरीने चोखा लइने, सिद्धाचलमां आव्या रे, प्यारो प्यारो गिरिराज वधावी(२) आनंदसागर उमट्यो रे.
आज मारा० मोंघा मूला मोती लइने, ए गिरिवर वधाव्या रे, ए तीरथनी यात्रा करता(२) हैया पावन थाय रे.
आज मारा०
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