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कांकरे कांकरे श्री सिद्धक्षेत्रे, अनंत आत्मा मुक्तिने पामे, चरणोमां वंदन करीए रे, हो यात्राना रसिया
चालो सिद्धाचल० २५. सिद्धाचलना वासी,
(राग - हे शंखेश्वरना वासी) सिद्धाचलना वासी, मारा हैये करजो वास(२) हैये करजो वास, मारा दिलडे करजो वास, सिद्धाचलना वासी मारा हैये करजो वास, मारा दीलडामां गाजे छे, तारी भक्ति तणो रणकार. तारी भक्ति करवा काजे, आव्यो तुज दरबार, विमलाचलनी सेवा करतां, आनंद उपजे अपार, मरूदेवीनो नंदन प्यारो, वंदन वार हजार. त्रणलोकमां तीरथ न एवं, महिमा अपरंपार तारी भक्ति करता करतां, करवो भवनो पार.
२६. समरो नित उठीने सवार...
(राग - समरो मंत्र भलो नवकार) समरो नित उठीने सवार... समरो नित उठीने सवार, प्यारं विमलगिरिनुं नाम, जेनो महिमा अपरंपार, थातां इच्छित सर्वे काम, समरो. देवो आवे दानव आवे, आवे नर ने नारी, संघ लइने संघवी आवे, भावना उत्तम सारी, समरो. पर्षदामाही महिमा गाता, सीमंधर भगवान,
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