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प्रभु०
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४. प्रभु ए विनंती हवे तो स्वीकारो,
(राग - रहे ज्यां भलाइ...) नथी गमतु भवमा हवे तो उगारो. कदी क्रोधना तो वादल चढे छे, समजना सूरजने तो ए आवरे छे, समीर थइ क्षमाना हवे तो पधारो. कदी मान हाथी आवी चढे छे, विनयना शिखरेथी गबडावी दे छे, समर्पणनी सरगम बनीने पधारो. कदी तो कपटना कांटा उगे छे, निखालस विचारोना फूलोने वींधे छे, माली बनीने हवे तो पधारो. लालसानो सागर तुफाने चढे छे, त्याग तपस्याना वहाणो डूबे छे, सुकानी बनीने हवे तो पधारो. आत्मकमलमां जो तुं पधारे, जीवननी नैया पहोंचे किनारे, सारथी बनीने हवे तो पधारो. छेल्ली विनंती प्रभुजी तमोने, विसारी ना देशो तुम सेवकने, श्वासोनी सरगम बनीने पधारो.
५. अमी भरेली नजरूं राखो... अमी भरेली नजरूं राखो, शत्रुजय ना दादा रे,
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प्रभु०
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