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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री पार्श्वनाथ भगवान के चैत्यवंदन, स्तवन, थोय आश पूरे प्रभु पासजी, तोडे भव पास. वामा माता जनमीया, अहि-लंछन जास. अश्व सेन सुत सुख-करु, नव हाथनी काया. काशी देश वाराणसी, पुण्ये प्रभु आया. एक सो वरसन आउखुं ए, पाली पार्श्व-कुमार. पद्म कहे मुगते गया, नमतां सुख निरधार. स्तवन ॐ नमो पार्श्वप्रभु पंकजे, विश्वचिंतामणी रत्न रे, ॐ ह्रीं धरणेन्द्र पद्मावती वैरुट्या करो मुज यत्न रे १ अब मोहे शांति तुष्टि महापुष्टि, धृति किर्ति कांति विधायी रे ॐ ह्रीं अक्षर शब्दथी आधि व्याधि सब जायरे ॐ ह्रीं श्री प्रभु पार्श्वजी, मुलना मंत्रनुं बीज रे पार्श्वथी सवि दुरित टले, आवी मिले सवि चीज रे ३ ॐ ह्रीं असिआउसा नमो नमः तुं ही त्रैलोक्य नो नाथ रे चोसठ इंद्रो टोले मली, सेवे प्रभु जोडी हाथ रे ४ ॐ अजिता दुरिआ तथा, अपराविजया जया देवी रे दश दिशीपाल गृह यक्ष ए, विद्यादेवी प्रसन्न होय सेवी रे ५ गोडी प्रभु पार्श्वचिंतामणी, थंभणो अहि छतो देव रे जगवल्लभतुं जग जगतो, अंतरिक्ष वरकाणा करु सेव रे ६ श्री शंखेश्वर पुरी मंडणो, पार्श्व जिन प्रणत तरु कल्प रे वारजो दुष्टना वृंदने सुजस सौभाग्य सुख कंद रे ७ १०४ For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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