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दो शब्द
अत्यन्त हर्ष के साथ हम हिन्दीभाषी श्रावक श्राविकाओं के हाथों में मात्र सवा साल में ही छी पुस्तक "श्री उज्जैयिनी तीर्थं परिचय" सोप रहे हैं।
पूज्य मुनिराज श्री जितरत्नसागरजी म. द्वारा लिखी गई पुस्तकों का प्रकाशन करने का सौभाग्य हमें प्राप्त होता ही रहता है । पूज्य मुनिश्री ने खाराकुआ देहरा खिडकी स्थित श्री सिध्दचक्राराधन केशरियाजी महातीर्थ का शोधपूर्ण प्राचीन इतिहास लिखा है। इतना ही नहीं अवन्तिपार्श्वनाथ तथा माणीभद्र देव के स्थानक के प्राचीन इतिहास के साथ साथ उज्जैन के करीब २१ जिनालयों का परिचय भी तैयार किया है । हम अत्यन्त आभारी हैं मुनिश्री के ।
सम्पादन कार्य के लिये मुनि श्री चन्द्ररत्नसागरजी म. के हम अत्यन्त ऋणी है अपना आकार दिलाने में मुख्य भूमिका निभाती है सम्पादन करने की कला है। ऐसी कला जो कि पुस्तक को में
टाइटल पेज के लिये धन्यवाद के पात्र है सुप्रसिध्द आर्टिस्ट श्रीबाबू लाल जो जैन 'गौरी आर्ट' उज्जैन जिन्होंने टाइटल पेज को आकर्षक बनाने में सहयोग किया ।
इस अवसर पर श्री रमेशभाई 'भाग्योदय आर्ट प्रिन्टर्स' उज्जैन को भी याद करना आवश्यक है जिन्होंने पुस्तक की प्रिन्टिंग अल्प समय में करके हमें प्रकाशन करने में सहयोग प्रदान किया है।
श्री रत्नसागर प्रकाशन निधि, इन्दौर
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