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धातु प्रतिमाजी के पास ही अधिष्ठायक देव श्री माणीभद्रवोर का स्थान है। यहां मणीभद्र जी स्थापित हैं । सिन्दूर लगाकर माणीभद्रजी की प्रतिमा जी यहां हाथी वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। यह प्रतिमाजी अति चमत्कारी है। यहां अनेक जैन अर्जन चोला चढ़ाते हैं। मोती झरा के रोगी यहां आकर मान करते हैं व उन्हें प्रत्यक्ष फल
की प्राप्ति भी होती है। श्री माणीभद्रवीर माणीमद्रवीर के पास ही चन्द्रप्रभस्वामीजी का तीन शिखरों से युक्तं जिनालय है । मध्य में श्री चन्द्रप्रभस्वामी जी मूलनायक है। एक
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अनेक शिखरों से युक्त तीर्थ का मनोरम दृश्य तरफ धातु के १५ इंच के अजीतनाथ जी मूलनायक हैं। दूसरी तरफ़ श्री पार्श्वनाथ प्रभु जी मूलनायक जी हैं इस जिनालय में कुल ३० प्रतिमाजी हैं।
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