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श्री केशरियानाथ महातीर्थ
पूज्य आचार्यदेव श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म. सा. के मन में वर्षों से एक भावना थी कि यहां वर्षों पहले केशरियानाथ प्रभु विराजमान थे अतः केशरियानाथ प्रभु की आबेहुव प्रतिमाजी यदि यहां होवे तो नवपद की आराधना करने वाले भाविकों को आराधना में भावोल्लास जागृत होवे पूज्य आचार्यदेव की भावना विक्रम संवत् २०१६ में साकार होने लगी आपने पेढ़ी के संचालकों को श्री केशरियानाथ महातीर्थ की पुनः स्थापना हेतु प्रेरित किया संचालकों को गुरुदेव पर अनहद श्रद्धाथी अतः सभी ने महातीर्थ की स्थापना हेतु कमर कसी ।
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पूज्य आचार्यदेव के उपदेश से श्री केशरियानाथ महातीर्थ के जिनालय हेतु विक्रम संवत् २०१६ में पोष बिदी ६ दिनांक २०-१-६० के शुभ दिन प्रातः श्रेष्ठिवर्य श्री नेमीचन्द ताराचन्द की सुपुत्री बालब्रह्मचारिणी कुमारी विमलाबेन के शुभ कर कमलों से खाद मुहूर्त करवाया गया। उसी वर्ष में एक माह पश्चात महा बिदी ६ गुरुवार दिनांक १८-२-६० के शुभ दिन प्रातः घोघा निवासी श्रेष्ठिवयं श्री कान्तिलालजी मोहनलालजी शाह के करकमलों द्वारा इस महातीर्थ का शिलारोपण किया गया ।
शिलारोपण के दिन से ही महातीर्थ का कार्य धड़ाके बन्द चालू हो गया। अनेक कारीगरों ने अपनी छिनी हथोड़ी से महातीर्थ को आकार प्रदान करना प्रारम्भ किया ।
पूज्य आचार्य देव ने भगवान श्री केशरियानाथ प्रभु की प्रतिमा हेतु जयपुर से कारीगर बुलवाये व उन्हें समझा कर घुलेवा भेजे । जहां उज्जैन के हो मूल केशरियानाथ प्रभु विराज रहे थे। कारीगरों ने वहां विराजमान केशरियानाथ जी की प्रतिमा जी का बारीकी से निरीक्षण किया। प्रतिमाजी का साइज प्रतिमाजी की मोटाई, लम्बाई चोड़ाई का माप लिया प्रतिमाजी का आबेहुब चित्र लेकर कारीगरों ने पूज्य आचार्यदेव श्री के. मार्गदर्शन में श्यामवर्णी आरसमय प्रतिमा को आकार प्रदान किया। पूज्य आचार्यदेव के उपदेश से प्रेरित होकर श्रेष्ठिवर्य हजारीमलजी बिरदीचन्द्रजी की धर्मपत्नी रम्भाबेन ने रूपये 4000 की राशी प्रदान करके श्री केशरियानाथ प्रभु की प्रतिमा भरबाने का लाभ लिया ।
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