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कुक्कुटी-कुक्कुटी पूरणी रक्तकुसुमा घुणवल्लभी। अर्थ--पूरणी वनस्पति
(हैमानिघंटु संग्रह) कुक्कुट-शितिवारः सितिवरः स्वस्तिकः सुनिषण्णकः । २९
श्रीवारकः सूचिपत्रः, पर्णकः कुक्कुटः शिखी । चाङ्गेरीसदृशः पत्रैश्चतुर्दल ईतीरितः ॥३०॥
शाको जलान्विते देशे चतुष्पत्रीति चोच्यते । अर्थ-चउपत्तिया भाजी-वनस्पति
( भावप्रकाश निघण्टु शाकवर्ग, शालिग्राम निघण्टु भूषण शाकव) कुक्कुट-कुक्कुटः शाल्मलिवृक्षे- (वैद्यक शब्दसिन्धु) कुक्कुट-बीजौरा,
(भगवतीसूत्र टीका) मधुकुक्कुटी-स्त्री मातुलुंगवृक्षे, बीजौरा,
(वैद्यकशब्द सिन्धु टीका ) सत्यभामा और भामा ये एकार्थवाले नाम हैं, वैसे ही मधुकुक्कुट और कुक्कुट ये भी एकार्थवाले नाम हैं।
कुक्कुट-घास की उल्का, आग की चीनगारी, शूद्र और निषादण की वर्णसंकर प्रजा
(जै० स० प्र० व० ४ अं० ७ ० ४३) कुक्कुट-१ कोषंडे, २ कुरडु, ३ सांवरी । इसके अलावा कुक्कुटपादप, कुक्कुटपादी, कुक्कुटपुट, कुक्कुटपेरक, कुक्कुटमंजरी, कुक्कुटमर्दका, कुक्कुटमस्तक, कुक्कुटशिख, कुक्कुटा, कुक्कुटांड, कुक्कुटाभकुक्कुटी, कुक्कुटोरग वगेरह वैद्यक शब्द हैं।
(निघण्टुरत्नाकर, जै० स० प्र. क्र. ४३) कुक्कुट-मुरघा, वन मुरघा।
इन शब्दों और अर्थों से पत्ता चलता है कि-'कुक्कुट' शब्द वनस्पति में वहूत व्यापक है।
वैद्यकग्रन्थो में कुक्कुट वनस्पति माने "चउपत्तिया भाजी" और "बीजौरा' के गुण दोष निम्न प्रकार मीलते है। (१) चउपत्तिया भाजी के गुणदोषसुनिषण्णो हिमो ग्राही, मोह दोष त्रयापहा ॥३१॥
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