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था, अतः उसे कुमार भुक्ति में बनारस का राज्य मिला था । वह वनमें गया नहीं था किन्तु नारदजीकी करतूत से रावणने रामका ही रूप लेकर बनारस के जंगलसे ही सीताका हरण किया। वगेरह २।
पद्मपुराण में लीखा है कि कैकई के कहने से राम, लक्ष्मण और सीता को वनवास मीला, भरत को अयोध्या का राज्य मीला। दंडकारण्य में खर-दूषण के पुत्र का वध, चन्द्रनखा ने की हुई शिकायत, खरदूषण से युद्ध, रावणने सीता का हरण किया, जटायुपक्षी का प्रयत्न इत्यादि प्रसंग बने । वगेरह ।
(६) आराधना कथा कोष में लीखा है कि-गजसुकुमाल कृष्णजी का बेटा था, उसके शिरमें कील ठोकने के कारण उसकी मृत्यु हुई। हरिवंश पुराण में लीखा है कि-गजसुकुमाल कृष्णजी का भाई था, वह मोक्ष में गया। वगेरह ।
(७) हरिवंशपुराण में लीखा है कि-कीचक मोक्षमें गया । पांडव पुराणमें लीखा है कि-कोचक मार दिया गया, वह मर कर के नकर्म गया ।
(८) हरिवंश पुराण संस्कृत में लीखा है कि-द्वीपायन मनि मरकर अंतर्मुहूर्त में अग्निकुमार देव हुवा उसने द्वारिका को फूंक दी। हरिवंशपुराण दोलतराम कृत भाषा में लीखा है-द्विपायन ऋषिके बाई भुजासे पुतला निकला, उसने द्वारिका को भस्म कर दी।
(९) चंद्रगुप्त की जन्मभूमि. १६ स्वप्न आनेका स्थान, इत्यादि में बडा मत भेद है।
(१०) एकांगविद् आचार्यो की संख्या आदि में मत मेद हैं।
(११) जम्बूचरित्र में लीखा है कि-जम्बूस्वामी राजगृह की पहाडी पर मोक्ष पधारें कीसी २ ने लोखा है कि-जम्बूस्वामी मथुरामें मोक्ष गये।
(१२) हरिवंश पुराण में लीखा है कि-मधुकीटभ मुनि हो कर मोक्षमें गया।
अन्यपुराण में लीखा है कि-मधुकीटभ मरकर नरक में गया। (१३) उत्तरपुराण, नेमिनिर्वाणकाव्य, हाँदी मेमिपुराण,
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