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[ ११५] (जैनधर्मप्रकाश पु. ५६ अं० ४ सं० १६६६ भाषाढ़ पृ० १४८) अब इस नियम के अनुसार देखा जाय तो मानना अनिवार्य होगा कि स्त्री मोक्ष में नहीं जासकती है कारण १. स्त्री सातवीं मारकी में भी नहीं जासकती है ।
देखिए श्रागम प्रमाण
पढमं पुढवीमसएणी, पहमं बितायं च सरिसवा जति । परखी जाव दु तदियं, जाव दु चउत्थी उरसप्पा ।। ११२ ॥ आपंचमीति सीहा, इथियो जति छट्टि पुढवि त्ति । गच्छति माघवीति, मच्छा मणुया य ये पावा ॥ ११३ ॥ उवाट्टिया य संता, णेरड्या तमतमादु पुढवीदो। ण लहंति माणुसत्तं, तिरिक्खजोणी मुवणयंति ।। ११४ ॥ छट्ठीदो पुढबीदो, उवाट्टिदा अणंतर भवाम्म । भज्जा माणुसलंभे, संजमलंभेण उ विहीणा ॥ ११६ ।। होज्ज दु संजमलाभो, पंचमखिदि-णिग्गतस्स जीवस्म । खत्थी पुण अंतकिरिया, णियमा संकिलेसेण ॥ ११७ ॥ होज दु णिव्वुदिगमणं, चउत्थाखिदि णिगतस्स जीवस्स । णियमा तित्थयरत्त, णस्थित्ति जिणेहिं पएणत्तं ।। ११८ ॥ तेण परं पुढवीसु, भयाणज्जा उबरिरमा हु णेरइया । णियमा अणंतरभवे, तित्थयरस्स उप्पत्ती ।। ११६ ॥ णिरयेहि णिग्गदाणं, अणंतरभवम्मि णत्थि णियमादो । बलदेव वासुदेवत्तणं च तह चकवाट्टित्तं ॥ १२० ॥
(आ० वरेरककृत 'मूलाचार', परिच्छेद १२)
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