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[ १११ महानुभाव ? ऐसी थोथी कल्पनाओं से क्या होता है । मोक्ष में आने वाला तो प्रात्मा ही है। यह निर्विवाद मत है कि सबल
आत्मा मोक्ष में जायगी और निर्बल आत्मा संसार में परिभ्रमण करेगी। चाहे वह पुरुष हो या स्त्री।
दिगम्बर सबल आत्मा उत्कृष्ट उर्ध्वगति करे तो मोक्ष में जाती है, उत्कृष्ट अधोगति करे तो सातवे नरक में जाती है। मध्यम बल प्रात्मा उत्कृष्ट गति करे तो ऊपर, बीच के देवलोक में और नीची वीच के नारकी स्थानों में जाती है । और अल्प पल मात्मा उत्कृष्ट रूप से शुरू २ के देवलोक में या शुरू २ के नरक में जाती है । इसलिये तय पाया जाता है कि जो श्रात्मा मोक्ष में जाने की ताकत रखती है वही सातवीं नरकी में जान की ताकत रखती है और जो श्रात्मा मोक्ष की ताकत नहीं रखती है वह सातवीं नारकी की भी ताकत नहीं रखती है । यानी जो आत्मा सातवीं नारकी पाने को समर्थ है वही मोक्ष पाने को समर्थ है । सारांश यह है कि आत्मा की प्रक्ति उच्च या नीचे गति करने में ठीक समानता से काम देती है। संघयणमें भी उत्कृष्टगति निम्न रूपसे बताई है :- :
संहनन
उ० ऊर्ध्वगति
|
उ० अधोगति
वजऋषभ
७ नरक
मोक्ष १देवलोक
२ ऋषभनाराच
नाराच
..
"
४ अर्धनाराच ५ कीलिका ६ सेवात
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