________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रु. व्याप्तदेहायमभसितरुचाभासमानाभुजंगैः कंठेकालाकप कि अ. रिटिचरुचिराछन्दकोदण्डहस्ता // अक्षारुद्राक्षमालाप्रकटितविक भवाशंभवामूर्तिभेदा रुद्राक्षेरुद्रसूक्तंप्रकटितविभवान् नः प्रय च्छन्तुसौख्यम् ॥२॥ॐालेयामलबिंदुकुंदधवलंगोक्षीरफेनप्रभ / भस्माभ्यंगमनंगदेहदमनं ज्वालावलीलोचनम्॥ ब्रौंद्रादिमरुद्गणैः / स्तुतिपरैरभ्यर्चितंयोगिभि वैदेहंसकलंकलंकरहितंस्थाणोर्मुखंप / 2 RECAREERESCAUG REA मूलरुद्रार्चनामञ्जर्यादौवर्त्तते // For Private And Personal Use Only