________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HASHIKAR रु० यत्पुरुषेण // यत्पुरुषेणहविषादेवायुज्ञमतन्वत // वसन्तोस्यासी अ. - दाज्यगृष्ष्मिडुध्मःशुरद्धविः // 14 // सुप्तास्या // सुप्ता 2 स्यासन्परिधयुस्त्रि:सुप्तसमिधःकुताः॥देवाययजन्तन्वानाऽअब / वन्पुरुषम्पशुम् // 15 // युज्ञेन // मुझे यज्ञमयजन्तदेवास्ता है। निधर्माणिप्पथमान्यांसन् // तेहनाकम्महिमानः सचन्तयत्रपूर्वे / साद्धया:सन्तिदेवाः // 16 // अद्भयः // अद्भयःसम्भृतत्पृथिव्यैर / है साँच्चविश्वकर्माणुल्समवर्तताये॥ तस्यत्वष्टांविदधहूपमैतितन्मय - For Private And Personal Use Only