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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( चतुःषष्ट्युपचारपूजन ) करवानां रमणीय पयो छे तथा आवरणपूजाविधि दिगेरे अत्युपयोगी विषयो छे: शतचण्डी, सहस्रचण्डी आदि प्रयोगोमां देवीपूजन करवामाटे याज्ञिक ब्राह्मणोए अवश्य संग्राह्य छे. मूल्य आना छ. = ७ वेदोक्त सर्वपूजा अने रुद्राष्टाध्यायी - शुक्लयजुर्वेदमाध्यन्दिनीय शाखाना विप्रोमाटे सर्वेदेवोना पूजनोपयोगी स्वरसहित मन्त्रोनो अपूर्व संग्रह छे अने रुद्रकल्पद्रुमानुसारी रुद्राष्टाध्यायी पण स्वरसहित छे. मूल्य आना चार. ८ ब्रह्मनित्यकर्मसमुच्चयप्रथम भाग - शुक्ल यजुर्वेदमाध्यन्दिनीयशाखाना विप्रोमाटे प्रातरुत्थानथी प्रातःसन्ध्या सुधीनुं एटले ब्राह्ममुहूर्तथी पोणाचार घडीना (दोढ कलाकना ) प्रथममागनुं आह्निक के जेमां प्रातरुत्थान, करतलावलोकन, भूमिस्पर्श, प्रातःस्मरण, मूत्रपुरीषोत्सर्ग विधि, दन्तधावनविधि, गृहेप्रातः स्नानप्रयोग, गौणस्नानो, प्रातः सन्ध्याप्रयोग अने सूत्रोक्त त्रिकालसन्ध्या. एटला विषयो गुजराती भाषामां समजण साथे छे तेमज प्रत्येक विजयोसम्बन्धी शास्त्रीयवचनो तथा मध्याह्न अने सायंसन्ध्या टिप्पणीमां छे, मूल्य मात्र आना चार. सामवेदत्रिकाल सन्ध्या - सामवेदी विप्रोमाटे त्रिकालसन्ध्या, गोभिलप्रणीत सन्ध्यासूत्र तथा सामवेदीयपुरुषसूक्त सस्वर छे, मूल्य आना त्रण. १० आरतिसमुच्चय-गणपति, देवी, शिव, पञ्चायतन, विष्णु, नृसिंह, राम अने भागवतादिनी बीश आरतिओ अने मङ्गलाष्टक छे. मूल्य आना बे. ज्योतिष विभाग ११ जातकालङ्कार - जन्मकुंडली उपरथी जिन्दगीनुं भविष्य जाणानो आरसो. एमां शरीर, धन, बन्धु, माता पिता, वाहन, सन्तान, बुद्धि, विद्या, रोगशत्रु, स्त्रीसुख, मृत्यु, धर्म, राज्य, व्यापार, लाभ, व्यय इत्यादि वृत्तान्त जाणवाना अढीसो विषयो छे. आ ग्रन्थ पासे राखवाथी साधारण गुजराती वांचनार पण पोतानी जन्मकुंडली उपरथी शुभाशुभ वृत्तान्त सहज जाणी शके छे. मूल संस्कृत श्लोको, पदच्छेद अने शब्दे शब्दनो अन्ययार्थ होवाथी प्राथमिक ज्योतिःशास्त्र भणारा विद्यार्थीओने तथा भणावनारा शिक्षकाने अत्युपयोगी छे. मूल्य रुपैया बे. २ १२ ग्रहगोचरज्योतिष - मूळसहित गुजराती भाषान्तर छे. गोचरराशिमां रहेला महोनु शुभाशुभ फल, पनोती अने तेना पायानुं फल इत्यादि जाणवामाटे उपयोगी छे. मूल्य आना व्रण. मलवानुं ठेकाणं - शास्त्री दुर्गाशङ्कर उमाशङ्कर शर्मा, वालुकेश्वर पाटशाला, मुंबई नंबर ६. For Private and Personal Use Only
SR No.020726
Book TitleShuklyajurvediya Graha Shanti Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgashankar Shastri
PublisherDurgashankar Shastri
Publication Year1929
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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