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+ एवं चेव भणंतो, नरनाहो तुरयरयणमारुहिउं। जा जाइ पुराभिमुहं, ता दिट्ठो बहुजणसमूहो ॥९०९॥
| अर्थ-इस प्रकारसे कहता हुआ राजा श्रीपाल घोड़ेपर सवार होके जितने नगरके सामने जावे उतने नगरके बाहर 8|बहुत लोकोंका समूह देखा ॥ ९०९॥ नायं च नरवरेणं, नूणं साआणिया मसाणंमिातहविहु पिच्छामि तयं, माहुजियंती कहवि हज्जा॥९१०॥
अर्थ-और राजाने जाना निश्चय वह कन्या श्मसानमें लाई भई दीखे है तथापि उस कन्याको देखू कदाचित् । जीवती न होवे ॥ ९१०॥
एवं च चिंतयंतो, पत्तो सहसत्ति तत्थ नरनाहो।पभणेइ इक्कवारं, मह दंसह झत्ति तं दद्रं॥९११॥ है। अर्थ-इस प्रकारसे विचारता हुआ राजा अकस्मात शीघ्र वहां प्राप्त भया हुआ कहे अहों लोको सर्पको डसी भई . कन्याको एक वक्त शीघ्र दिखाओ ॥ ९११॥ भणियं च तेहिं नरवर?, किं दंसिजइ मयाइ बालाए।अम्हाणं सबस्सं, अवहरियं अज्ज हयविहिणा ९१२ ___ अर्थ-उन लोकोंने कहा हे महाराज मरी भई कन्याको क्या दिखावें हत इति खेदे आज विधि देवने हमारा सरवस्व हरण कर लिया ॥ ९१२॥ राया भणेइ भोभो, अहिदट्ठा मुच्छिया मयसरिच्छा। दीसंति तहवितेसिं, जहा तहा दिजइ न दाहो ९१३
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