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मिल गावे हे माय॥स॥॥ सकसिणगार मनोहरु, एतो उमम पाय ठमकावे हे माय ॥सातनमन प्राण लोनावती, एतो गौरी मंगल गावे हे माय ॥ स०॥ विवड्यां साजनमेलवै, एतो अनमी पाय नमावे हे माय॥ मनरा मनोरथ पूरवे, एतो ॥ परघल लखमी ट्यावे हे माय ॥ सः ॥६॥ विषमी वेला वाटमें, एतो समाँ सानिधश्रावे हे मायाजूखां जोजन मेलवे, एतो तिसियानीर मिलावे हे माय ॥ स० ॥ ७॥ यात्री आवे नितनवा, एतो थान आगल थिर थाट हे माय, सीरणीयां नित सांमठी, एतो गावे गुणगहगाटे हे माय ॥ स ॥७॥कुशलसूरिद गुरु आगले, एतो नवि मिल लावना नावे हे माय । चंदफते मुनि नित नमें, एतो परमानंद सुख पावे हे माय ॥ स० ॥ ए॥ इति सं॥
॥ अथ पांच शक्रस्तव देव वन्दन विधि दि॥ प्रथम चैत्यवन्दन करे नमोबुणं सवे तिविहेण वन्दामि तक कहै, पीने इरियावही कहके, चार नवकारको काउसग्ग करके लोगस्स कहै, फिर चैत्यवन्दन करके 'नमोत्थुणं' कहै, पी अरिहंत चेश्याणं वन्दन वत्तियाए अन्नत्थू कहके एक नवकारको काउस्सग्ग करे, एक थुश्की गाथा कहके लोगस्स० वन्दन कही दूजी शुई कहै फिर पुरकरवरदी वंदण वत्तिः कह तीजी शुई कहै, फिर सिधाएं बुझाएंअन्नत्थु कही एक नवकारको काउस्सग्ग करी चौथी थूई कहै, पी बेठके तीसरी वेर 'नमोत्थुणं' कहै पीनै खमा होके इसतरे बंदणवत्तियाए प्रमुख संपूर्ण पूर्वकी तरेसें थुई कहके फेर बेउके चौथी बेर नमोत्थुणं नमोऽहत् सिधा तक कहके बमो स्तवन श्रावे सो कहे
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