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पूर
श्रमण-सूत्र
___यह अतिचार-सूत्र प्रथम आवश्यक में सामायिक सूत्र के बाद अतिचार स्मरण के लिए श्राता है, प्रस्तुत स्थान में प्रतिक्रमण के लिए, है, एवं आगे कायोत्सर्ग से पहले अतिचार-शुद्धि को पुनः विमल करने के लिए है। प्रथम और अन्तिम में 'इच्छामि ठाइडं काउस्सग्ग' बोला जाता है, जिसका अर्थ है कायोत्सर्ग करना चाहता हूँ। ठाइउं का संस्कृत रूप स्थातुम् है। धातु अनेकार्थक हैं अतः वहाँ स्था धातु करने अर्थ में है।
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