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श्रमण सूत्र
( ४ ) आलोचना- सूत्र
इच्छाकारेण संदिसह भगव !
इरियावहियं, पडिक्कमामि ?
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इच्छं
इच्छामि पडिक्कमिउ ॥१॥ इरियावहियाए, विराहणाए ॥ २ ॥
गमागमणे, पाणक्कमणे, बीक्कमरणे, हरिय क्कमणे,
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श्रीसा उत्तंग-पराग-द्ग-मट्टी- मक्कडासं तारणा-संकमणे||४||
जे मे जीवा विराहिया ॥ ५ ॥ एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिं दिया, पंचिंदिया ॥ ६ ॥
अभिया, बत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणात्र ठाणं संकामिया, जीविया ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥७॥
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