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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्रत्याख्यान-सूत्र ३०३ विवेचन यह 'नमस्कार सहित' प्रत्याख्यान का सूत्र है। नमस्कार सहित का अर्थ है- 'सूर्योदय से लेकर दो घड़ी दिन चढ़े तक अर्थात् मुहूर्त भर के लिए, विना नमस्कार मंत्र पढ़े श्राहार ग्रहण नहीं करना । इसका दूसरा नाम नमस्कारिका भी है। आजकल साधारण बोलचाल में नवकारिसी कहते हैं। चार आहार इस प्रकार हैं (१) अशन-इसमें रोटी, चावल आदि सभी प्रकार का भोजन श्रा जाता है। (२) पान-दूध, द्राक्षारस पानी आदि पीने योग्य सभी प्रकार की • चीजें पान में श्रा जाती हैं । परन्तु आजकल परंपरा के नाते पान से केवल जल ही ग्रहण किया जाता है। (३) खादिम-बादाम, किसमिस श्रादि मेवा और फल खादिम १ "नमस्कारेण-पञ्चपरमेष्ठिस्तवेन सहितं प्रत्याख्याति । 'सर्वे धातवः करोत्यर्थेन व्याप्ता' इति भाष्यकारवचनान्नमस्कारसहितं प्रत्याख्यानं करोति ।" यह प्राचार्य सिद्धसेन का कथन है । इसका भावार्थ है कि मुहूर्त पूरा होने पर भी नवकार मंत्र पढ़ने के बाद ही नमस्कारिका का प्रत्याख्यान पूर्ण होता है. पहले नहीं। यदि मुहूर्त से पहले ही नवकार मंत्र पढ़ लिया जाय, तब भी नमस्कारिका पूर्ण नहीं होती है । नमस्कारिका के लिए यह आवश्यक है कि सूर्योदय के बाद एक मुहूर्त का काल भी पूर्ण हो जाय और प्रत्याख्यान-पूर्ति स्वरूप नवकार मंत्र का जप भी कर लिया जाय ! इसी विषय को प्रवचन सारोद्धार की वृत्ति में प्राचार्य सिद्धसेन ने इस प्रकार स्पष्ट किया है.-"स च नमस्कारसहितः पूर्णेऽपि काले नमस्कारपाठमन्तरेण प्रत्याख्यानस्यापूर्यमाणत्वात् , सत्यपि च नमस्कारपाठे मुहूर्ताभ्यन्तरे प्रत्याख्यानभङ्गात् । ततः सिद्धमेतत् मुहूर्तमानकाल नमस्कारसहितं प्रत्यायानमिति ।"--प्रत्याख्यानद्वार। .. For Private And Personal
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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