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श्रमण सूत्र
आलोचना-सूत्र इच्छाकारेण संदिसह भगव! इरियावहियं, पडिक्कमामि ?
इच्छामि पडिक्कमि, ॥१॥
इरियावहियाए, विराहणाए ॥ २ ॥ गमणागमणे, पाणक्कमणे,
बीयक्कमणे, हरिय-क्कमणे, श्रोसा उत्तिंग-पणग-दग-मट्टी-मक्कडासंताणा-संकमण।४॥
जे मे जीवा विराहिया ॥ ५ ॥ एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरि दिया, पंचिंदिया ॥६॥ अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ॥७॥
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