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एकाशन-सूत्र एगासणं पच्चक्खामि तिविहं पि आहारं असणं, खाइम, साइमं ।
अन्नत्थ-ऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागारियागारेणं, आउंटण पसारणेण, गुरु अब्भुट्ठाणेण, पारिट्ठावणियागारेण', महत्तरागारेण, सव्वसमाहिवत्तियागारेण वोसिरामि।
भाव.थ ___ एकाशन तप स्वीकार करता हूँ; फलतः अशन, खादिम, स्वादिम तीनों आहारों का प्रत्याख्यान करता हूँ।
अनाभोग, सहसाकार, सागारिकाकार, श्राकुञ्चनप्रसारण,गुर्वभ्युत्थान, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार, सव-समाधिप्रत्ययाकार-उक्त पाठ श्रागारों के सिवा पूर्णतया श्राहार का त्याग करता हूँ।
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