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गुप्ति-सूत्र
पडिक्कमामि तिहिं गुत्तीहिं
मणगुत्तीए, वयगुत्तीए कायगुत्तीए ।
शब्दार्थ पडिक्कमामि = प्रतिक्रमण करता हूँ मणगुत्तीए = मनोगुप्ति से तिहिं तीनों
वयगुत्तीए= वचनगुप्ति से गुत्तीहिं == गुप्तियों से . कायगुत्तीए - कायगुप्ति से
भावार्थ तीन प्रकार की गुप्तियों से = अर्थात् उनका श्राचरण करते हुए प्रमोदवश जो भी तरसम्बन्धी विपरीताचरणरूप दोष लगे हों, उनका प्रतिक्रमण करता हूँ। (किन गुप्तियों से ? ) मनोगुप्ति से, क्चनगुप्ति से, कायगुप्ति से।
विवेचन गुप्ति का अर्थ, रक्षा होता है-'गोपनं गुप्तिः। अतएव मनोगुक्ति
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