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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (40) शून्यने यविधि दोष, प्रतिप्रवृत्ति जेह ॥ चार दोष बंकी नजो, नक्किनाव गुण गेह ॥ ६ ॥ मय जन्म पामी करीए, सदगुरु तीरथ योग ॥ श्रीगुनवीर ने शा सने, शिवरमणी संयोग ॥ ७ ॥ इति चैत्यवंदन ॥ ॥ अथ पुंकरगिरि स्तवन प्रारंभः ॥ ॥ वीरजी खायारे विमलाचलके मेदान, सुरपति नायारे समोवसरण मंमाण ॥ एयांकणी ॥ देखना देवे वीरजी स्वाम, शत्रुंजय महिमां वरणवे ताम ॥ जाखे या ऊपर सो नाम, तेहमा जाख्युं रे पुंकर गिरि निधान || सोहम इंदोरे तव पूढे बदु मान, किम थयुं स्वामीरे नांखो तास निदान ॥ वीर० ॥ १ ॥ प्रभुजी नांखे सांनल इंद, प्रथमजे हुआ रिपन जिणं द || तेहना पुत्रते जरत नरिंद, जरतना हुआ रे कूप नशेन पुंमरिक || रुपनजी पासे रे देखना सुणी तह कीक, दीक्षा लीधी रे त्रिपदी ज्ञान अधिक ॥ वीर० ॥ |||| गणधर पदवी पाम्या जाम, दादशांगी गुंथी अनिराम ॥ विचरे महियलमां गुण धाम, अनुक्रमे याव्या रे श्रीसिद्धाचल सार ॥ मुनिवर कोडी रे पंच तो परिवार अनशन कीधुंरे निज धातमने उपगार ॥ वोर० ॥ ३ ॥ चैत्री पूनम दिवसें एह, पाम्या केव For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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