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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥ ॥अथ ॥ ॥ श्री नयसुंदरजी कृत सिहाचलजीनो नहार प्रारंजः॥ ॥ विमलगिरिवर विमलगिरिवर,मंझणो जिनराय॥ श्री रिसहेसर पायनमि, धरिय ध्यान सारदा देविय॥ श्री सिमाचल गायसुंए, हीये नाव निर्मल धरेविय ॥ श्री शत्रुजगिरि तीरथ वटुं, सिह अनंति कोडी॥ जिहां मुनिवर मुक्तं गया, ते वंड बे कर जोडी ॥१॥ ॥ ढाल पहेली ॥ श्रादनराय पुहतलाए ॥ ए देशी॥ ॥बे कर जोडीने जिन पायलागुं, सरसती पासे वचन रस मागु ॥ श्री शत्रुजय गिरि तीरथ सार, यू एवा कलट थयो रे अपार ॥ ॥ तीरथ नही कोई शत्रुजय तोलें, अनंत तीर्थकर इणी परे बोले ॥ गु रु मुख शास्त्रनो लहिय विचार, वरणतुं शत्रुजा ती रथ नझार ॥३॥ सुरवर माहे वडो जेम इंश, ग्रह गण माहे वडो जेम चं ॥ मंत्र माहे जेम श्रीनव कार, जलदायक जेम जग जलधार ॥ ४ ॥ धर्म For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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