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(१५)
र॥ केवली विण कुण जाणे, किम बद्मस्थ वखाणे ॥ १० ॥ नवलाख बंधी बंध काप्या, नवलाख हेम टका तस बाप्या ॥ तो देश लहरी बन्न चाख्यु, समरे शाहे नाम राख्यं ॥ ११ ॥ पन्नर सत्यासीये प्रधान, बादरशाहें बहुमान ॥ करमे शाहें जस लीधो, उदार शोलमो कीधो ॥१७॥णे चोवीसीय विमल गिरि, विमलवाहन नृप यादरि ॥ उःप्रसह गुरु उप देशे, नदार बहेलो करेशे ॥१०३ ॥ एम वली जे गु एवंत, तीरथ नचार महंत ॥ लक्ष्मी लही वय करो, तस बदुनव कारज सरसे ॥ १० ॥ ॥ ढाल ॥ अगीधारमी॥ माश्यन्य सुपनतुं॥
॥ ए देशी॥ ॥धन्य धन्य शत्रुज गिरि, सिह खेत्र ए गम ।। कर्मक्ष्य करवा, बरें बेग जपो नाम ॥ १०५ ॥ चो वीसी इणे गिरि, नेमविना वोश ॥ तीरथ जागी, समोसस्या जगदीश ॥ १०६ ॥ पुंमरिक पंच कोडीशु, साविड वारिखिन्न जोड ॥ काति पूनम सी धा, मुनिवरशुं दशकोड ॥ १० ॥ नमि विनमि वि द्याधर, दोय कोडि मुनि संयुत्त ॥ फागुण शुदि दश मी, इगिरि मोद पदत्त ॥ १० ॥ श्री कृष
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