________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ११ )
यादर घणे || चंड्या राजा मनरंज, नवमो उद्धार को शत्रुंज ॥ ७५ ॥ श्रीशांतिनाथ शोलमां स्वाम, र ह्या चोमासुं विमलगिरि ठाम ॥ तस सुत चक्रायुद्ध रा जीयो, ति दशमो उद्धारज कीयो ॥ ७६ ॥ कीयो शांति प्रासाद उदाम, हवे दशरथ सुत राजाराम ॥ एकादशमो को उद्दार, मुनिसुव्रत वारें मनोहार ॥ ७७ ॥ नेमिनाथ वारें जोधार, पांव पांच करे उद्धार || शत्रुंजय गिरि पूगी रली, ए द्वादशमो जा यो वली ॥ ७८ ॥
॥ ढाल श्रावनी | राग वैराडी ॥
॥ पांव पांच प्रगट हवा, खोही होहणी य ढार रे || पोतानी पृथ्वी करी, मायने कीधो जुहार रें || ७ || कुंतारे माता इम जणे, वत्स सांगलो या परे ॥ गोत्र निकंदन तुमे कस्यो, ते केम बूटसो पाप रे ॥ कुं० ॥ ८० ॥ पुत्र कहे सुणो मायडी, कहो श्रम सोय उपाय रे ॥ ते पातिक किम बूटीयें, वलतुं पनले मायरे || कुं० ॥ ८१ ॥ श्रीशत्रुंजे तीरथ ज5, सूरज कुंमे स्नान रे ॥ कूपन जिद पूजा करो, धरो जगवंतनो ध्यान रे || कुं० ॥ ८२ ॥ मांता शिखामण मन धरी, पांव पांचे ताम रें | हत्या पातक बूटवा,
For Private and Personal Use Only