SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट । कर्मा साह के उद्धार की बृहत्पशस्ति जो शत्रुजय के मुख्य मन्दिर के द्वार पर बडे शिलापट्ट में उकीरी हुई है, इस जगह दी जाती है । इस के कर्ता कविवर लावण्यसमय हैं जिन्हों ने 'विमलप्रबन्ध ' नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक पुस्तक की रचना की है। ॥ आँ स्वस्ति श्रीगूर्जरधरित्र्यां पातसाहश्रीमहिमूदपट्टप्रभाकरपातसाहश्रीमदाफरसाहपट्टोद्योतकारकपातसाहश्रीश्रीश्रीश्रीश्री बादरसाह विजयराज्ये । संवत् १५८७ वर्षे राज्यव्यापारधुरधरपान श्रीमझादपानव्यापारे श्रीशत्रुञ्जयगिरौ श्रीचित्रकूटवास्तव्य दो करमाकृत-सप्तमोद्धारसक्ता प्रशस्तिलिख्यते ॥ स्वस्ति श्रीसौख्यदो जीयाद्युगादिजिननायकः । केवलज्ञानविमलो विमलाचलमण्डनः ॥ १॥ श्रीमेदपाटे प्रकटप्रभावे ___ भावेन भव्ये भुवनप्रसिद्धे । श्रीचित्रकूटो मुकुटोपमानो विराजमानोऽस्ति समस्तलक्ष्म्या ॥ २ ॥ सन्नन्दनो दातृसुरद्रुमश्च तुङ्गः सुवर्णोऽपि विहारसारः । जिनेश्वरस्नात्र पवित्रभूमिः For Private and Personal Use Only
SR No.020705
Book TitleShatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1917
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy