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श्रीस्थानागसूत्र सानुवाद ॥४७॥
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१ स्थाना
ध्ययने वर्गणास्त्र
रूपम् ५१सूत्रम्
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यावत् वनस्पतिकायिकोनी वर्गणा एक छे. सम्यग्दृष्टि बेइंद्रियोनी वर्गणा एक छे, मिथ्यादृष्टि बेइंद्रियोनी वर्गणा एक छे, | एवी रीते तेइंद्रिय चौशिंद्रियोने पण एक वर्गणा जाणवी. शेष (पंचेंद्रियना) पांच दंडको नारकोनी माफक जाणवा. यावत मिश्रदृष्टि वैमानिकोनी एक वर्गणा छे. कृष्णपाक्षिक जीवोनी वर्गणा एक छे, शुक्लपाक्षिक जीवोनी वर्गणा एक छे, कृष्णपाक्षिक नैरयिकोनी वर्गणा एक छ, शुक्लपाक्षिक नैरयिकोनी वर्गणा एक छे, एवी रीते चोवीश दंडको कहेवा. कृष्णलेश्यानी वर्गणा एक छे, नीललेश्यानी वर्गणा एक छे, एम यावत् शुक्ललेश्यानी वर्गणा एक छे, कृष्णलेश्यावाळा नैरयिकोनी वर्गणा एक छे, यावत् कापोतलेश्यावाळा नैरयिकोनी वर्गणा एक छे. एवी रीते जेने जेटली लेश्याओ छे ते कहे छ:भवनपति, वाणव्यंतर, पृथ्वीकायिक, अपकायिक अने वनस्पतिकायिकोने पहेली चार लेश्या छे. तेजस्कायिक, वायुकायिक, बेइंद्रिय, तेइंद्रिय, चतुरिंद्रियोने पहेली त्रण लेश्या छे, पंचेंद्रिय तियंचयोनिको अने मनुष्योने छ लेश्या छे, ज्योतिष्कोने एक
तेजोलेश्या छ, वैमानिकोने उपरनी त्रण लेश्या छे. कृष्णलेश्यावाळा भव्यसिद्धिकोनी वर्गणा एक छे, कृष्णलेश्यावाळा अभव्य& सिद्धिकोनी वर्गणा एक छे, एवी रीते छ लेश्याने विषे पण बे वे पदो कहेवा, कृष्णलेश्यावाळा भव्यसिद्धिक नैरयिकोनी * वर्गणा एक छे, कृष्णलेश्यावाळा अभव्यसिद्धिक नैरयिकोनी वर्गणा एक छे, एवी रीते (जे दंडकमां ) जेने जेटली लेश्याओ
होय तेने तेटली लेश्याओ कहेवी. कृष्णलेश्यावाळा सम्यग्दृष्टिकोनी वर्गणा एक छे, कृष्णलेश्यावाळा मिथ्यादृष्टिकोनी वर्गणा एक छे, कृष्णलेश्यावाळा मिश्रदृष्टिकोनी वर्गणा एक छे, एवी रीते छ लेश्याओने विषे यावत् वैमानिक दंडक सुधी जेओने जेटली दृष्टिओ होय तेटली वर्गणा कहेवी. कृष्णलेश्यावाळा कृष्णपाक्षिकोनी वर्गणा एक छे, कृष्णलेश्यावाळा शुक्लपाक्षिकोनी
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