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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie (xxxxxxxxAKKKKKKXXXXXXXXXXXXXX छ के-'दो गंगापवायहहे'त्यादि० (४ ). 'दो रोहियाओ' इत्यादि० नदीना अधिकारमा गंगादि नदीओनुं द्विपणुं होवा छतां पण कयु नथी कारण के जंबूद्वीप प्रकरणमां कहेल-'महाहिमवंताओ वासहरपब्वयाओ महापउमद्दहाओ दो महानदीओ पवहंती'त्यादि० आ सूत्रना क्रमनो आश्रय छे. त्यां (जंबूद्वीप विषयमा) रोहित वगेरे आठ नदीओ ज संभळाय छे. चित्रकूट अने पनकूट ए बे वक्षस्कार पर्वतना मध्यमां (अंतरमां) नीलवंत वर्षधर पर्वतना नितंब(कडना पाछळना भाग )पणे व्यवस्थित होवाथी तथा ग्राहवती कुंडथी दक्षिण तोरणबडे नीकळेली, अठ्यावीश हजार नदीना परिवारवाळी, सीता नदीमा मळनारी, सुकच्छ अने महाकच्छ ए बे विजयोना विभाग करनारी एवी ग्राहवती नामनी नदी छे. एवी रीते यथायोग्य वे वृक्षस्कार पर्वत अने विजयना आंतरामां क्रमथी प्रदक्षिणाए बार अंतरनदीओ पण जोडवी, तेर्नु द्वित्वपणुं (बे पणुं) पूर्वनी माफक जाणवू. अहिं पंकवती नाम छ तेनुं ग्रंथांतरमा वेगवती एयु नाम देखाय छे. तेम क्षारोद एवं अहि नाम छे तेनु क्षीरोद (नदी) एवं नाम बीजे स्थले छे. वळी आ सत्रमा सिंहश्रोता नाम छे तेनुं अन्यत्र सीतश्रोता एवं नाम कहेल छ. फेनमालिनी अने गभीरमालिनी आ बन्ने नामोर्नु अहिं ऊलटी रीते कथन देखाय छे. माल्यवत् नामना गजदंत पर्वत अने भद्रशाल वनी आरंभीने कच्छ वगेरे वत्रीश विजय क्षेत्रो बब्बे प्रदक्षिणाथी जाणी लेवा. (५). तथा कच्छादि विजयोने विषे क्रमथी क्षमादि नगरीओना बत्रीश युगलो (बे वे) जाणी लेवा. (६), मेरुना भद्रशालादि चार बनो छभूमीए भद्दसालं, मेहलजुयलंमि दोन्नि रम्माइं । नंदणसोमणसाइं, पंडगपरिमंडियं सिहरं ॥९९॥ KXXXXX For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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